Saturday, October 23, 2021

bewafai

टूट कर चाहा उसे 
बैरी किस्मत चल गया 
रब्ब मिली है बेवफाई 
फिर मुसाफिर बन गया /1/

टूटा दिल, न रोने को कंधा 
यादें गला घोट रही 
हमसफर के यादें 
प्यारी बातें अब कचोट रही /2/ 

शहर के हर मंजर 
तेरी ही गवाही देते हैं 
दिलजलो का एक अलहदा 
बसर होना चाहिए /3/

वो ले गये है मुझसे
मुहब्बत का तजुर्बा
अब न छला जाएगा
कोई और मेहरबां
बननी थी मिशाल जिसकी
बूत बन के रह गये 
फिर मिली है बेवफाई 
फिर मुसाफिर बन गये /4/

~dheer supriya

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