टूट कर चाहा उसे
बैरी किस्मत चल गया
रब्ब मिली है बेवफाई
फिर मुसाफिर बन गया /1/
टूटा दिल, न रोने को कंधा
यादें गला घोट रही
हमसफर के यादें
प्यारी बातें अब कचोट रही /2/
शहर के हर मंजर
तेरी ही गवाही देते हैं
दिलजलो का एक अलहदा
बसर होना चाहिए /3/
वो ले गये है मुझसे
मुहब्बत का तजुर्बा
अब न छला जाएगा
कोई और मेहरबां
बननी थी मिशाल जिसकी
बूत बन के रह गये
फिर मिली है बेवफाई
फिर मुसाफिर बन गये /4/
~dheer supriya
No comments:
Post a Comment