Saturday, March 20, 2021

DheerSupriya Shrivastav

जिस उम्र आशिकी फरमाते
 सावन का झूला भूल गये,
            दिल में आजादी का जुनू लिए 
        ‌    झुके नहीं सर झूल गये 
            झुके नहीं सर झूल गये /१

इंकलाब जिंदाबाद, रंग दे बसंती,
वंदे मातरम् वन्दे मातरम्
                 जय हिंद के जय घोष से,
           भारत का जन जन जाग उठा।
देनी पड़ी चुपके से फांसी,
अंग्रेजों के पांव फूल गये।
             झुके नहीं सर झूल गये 
            झुके नहीं सर झूल गये /२

हर रोज शहीद दिवस
हर हिस्से से थी कुर्बानी
                धरती मां को रक्त से सींचा,
              जननी मां के आँसू सूख गये।
झुके नहीं सर झूल गये 
झुके नहीं सर झूल गये /३

मेरा नमन् उन वीरवधू को,
जो अपने बच्चों को भी,
                   शहीद पिता के पद चिन्हों  
                   चलना सिखाया -२
झुके नहीं सर झूल गये 
झुके नहीं सर झूल गये /४

हम अपनी ताकत भूल गये,
फिर से अलख जलाना है,

            भावी पीढ़ी के मन दर्पण में,
            भारत भाव जगाना है
गुलामी रंग बदल कर आयेगी,
अगर सब अपने में मशगूल रहें/

            झुके नहीं सर झूल गये 
            झुके नहीं सर झूल गये /५

~ धीरसुप्रिया श्रीवास्तव

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