बचपन में मिला जो स्वाद
ज़हन से ज़ाता नहीं ,
सुना हैं अब मिलावाट के बीना,
कूछ आता नहीं !1!
ज़हन से ज़ाता नहीं ,
सुना हैं अब मिलावाट के बीना,
कूछ आता नहीं !1!
मिलावात खोरो ने ऐसा नकल किया पैमाना,
की असली क्या हैं नकली क्या
भेद कोई पाता नहीं ..................................!2!
की असली क्या हैं नकली क्या
भेद कोई पाता नहीं ..................................!2!
दाल पे चढ गयी हैं पोलिश ,
मिर्च पे मिनिरल ओएल की मालिश,
मटर पे मेलाचाइट ग्रीन,
हींग में हैं फोरेन रेजींन,
जहरीले रंग से रंगा,
बेसन लाडू और नमकींन,
बनाया केंसर को -2
छल्ली की ज़ुल्फो को कर रंगीन
सुना है अब बादाम, काजू का ,
पहले ही तेल निकल जाता है।
मिर्च पे मिनिरल ओएल की मालिश,
मटर पे मेलाचाइट ग्रीन,
हींग में हैं फोरेन रेजींन,
जहरीले रंग से रंगा,
बेसन लाडू और नमकींन,
बनाया केंसर को -2
छल्ली की ज़ुल्फो को कर रंगीन
सुना है अब बादाम, काजू का ,
पहले ही तेल निकल जाता है।
बचपन में मिला जो स्वाद
ज़हन से ज़ाता नहीं
ज़हन से ज़ाता नहीं
सुना हैं अब मिलावाट के बीना,
कूछ आता नहीं !३ !
देखो अब चाइना का चमत्कार,
केमिकल एग और प्लास्टिक के चावल का किया अविष्कार .
बंद कब होगा , हाँ बंद कब होगा,
ये पाप् का ब्यापार,
कूछ आता नहीं !३ !
देखो अब चाइना का चमत्कार,
केमिकल एग और प्लास्टिक के चावल का किया अविष्कार .
बंद कब होगा , हाँ बंद कब होगा,
ये पाप् का ब्यापार,
समझ में आता नहीं।
बचपन में मिला जो स्वाद
ज़हन से ज़ाता नहीं
ज़हन से ज़ाता नहीं
सुना हैं अब मिलावाट के बीना,
कूछ आता नहीं !३ !
कूछ आता नहीं !३ !
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