एक सर्वे के अनुसार करीब 90% कैंसर का कारण भोजन एवं पर्यावरण का विषेलापन होता है। सर्वे में एक आश्चर्यजनक तथ्य सामने आया है कि मानव शरीर में करीब 300 मानव निर्मित रसायन पाये गए हैं, जोकि शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले रसायन हैं। कीटनाशकों ने लाखों लोगों को स्थाई रूप से बीमार बनाया है, जिनमें से ज्यादातर मितली (नॉसी), डायरिया, दमा, साईनस, एलर्जी, प्रतिरोधक क्षमता में कमी और मोतियाबिंद की समस्या का सामना कर रहे हैं।
अधिकांश खाद्य उत्पादों पर लेबिल लगा होता है कि उस उत्पाद में किन-किन तत्वों का प्रयोग किया गया है लेकिन हम लापरवाही के कारण या अज्ञानतावश उस जानकारी को नहीं पढ़ते हैं। किन्तु इस को पढ़ना बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इसको पढ़ने से हम किन रसायनो का उपयोग अपने खाने में कर रहे हैं एवं उन रसायनों का हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ेगा इसकी जानकारी रखना बहुत जरूरी है।
विषैले रसायन हमारे शरीर में कहाँ से आते हैं:
विषैले रसायन हमारे शरीर में कई जगह से पहुँचते हैं जिनमे मुख्य स्त्रोत निम्न हैं:
1. अत्यधिक मात्रा में रासायनिक खादों के प्रयोग से ये रसायन मिटटी से रिस कर भूजल में मिल जाते हैं एवं इस जल का प्रयोग हम पीने के पानी के रूप में करते हैं।
2. कृत्रिम रूप से फलों को पकाने एवं सब्जियों को ताजा रखने के लिए दुकानदार खतरनाक रसायनों का प्रयोग करते है जो इन फलों एवं सब्जियों के साथ हमारे शरीर में पहुंचते हैं।
3. डेरी मालकों द्वारा गाय एवं भैसों से ज्यादा दूध लेने के लिए रसायनों के इंजेक्शन लगाये जाते हैं ये रसायन दूध के माध्यम से हमारे शरीर में पहुंचते हैं।
4. फसलें एवं सब्जियां मिटटी के प्रदुषण से प्रभावित होती हैं अनुपयुक्त धातुएं एवं तत्व इन सब्जियों एवं अनाज के माध्यम से हमारे शरीर में पहुँचते हैं।
5. सड़कों पर वाहनों से निकले धुओं में विभिन्न प्रकार के रसायन एवं गैस घुले रहते हैं जो साँस लेने पर हमारे शरीर में जाकर फेफड़ों एवं स्वांस नाली को प्रभावित करते हैं।
6. फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं एवं अपशिष्ट पदार्थ वातावरण की वायु एवं पानी में घुलकर हमारे शरीर में अंदर जाकर नुकसान पहुंचाते हैं।
अनाज एवं सब्जियों में इन तत्वों का सांद्रण स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक होता है। लगातार प्रदूषित अनाज एवं सब्जियों में भारी तत्वों की मात्रा अनुपात से अधिक होने से विभिन्न प्रकार के रोग जन्म लेते हैं, जिनमे तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुँचाने वाली बीमारियाँ, हृदय के रोग, मूत्र रोग, मस्तिष्क से सम्बंधित रोग प्रमुख हैं। विभिन्न प्रकार के तत्व एवं धातुएं जो विभिन्न तरीकों से हमारे शरीर के अंदर जाते हैं हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं.
विषैले तत्व:
ये तत्व एवं धातुएं मानव शरीर के लिए विषेला प्रभाव उत्पन्न करती हैं। इनसे शरीर में विभिन्न प्रकार की विसंगतियां एवं कैंसर जैसे रोग उत्पन्न होते हैं। इनमें आर्सेनिक क्रोमियम, लेड, पारा प्रमुख हैं।
एक औसत भारतीय अपने दैनिक आहार में स्वादिष्ट भोजन के साथ 0.27 मिलीग्राम डीडीटी भी अपने पेट में डालता है जिसके फलस्वरूप औसत भारतीय के शरीर के ऊतकों में एकत्रित हुये डीडीटी का स्तर 12.8 से 31 पीपीएम यानी विष्व में सबसे ऊंचा हैं। इसी तरह गेहूं में कीटनाशक का स्तर 1.6 से 17.4 पीपीएम, चावल में 0.8 से 16.4 पीपीएम, दालों में 2.9 से 16.9 पीपीएम, मूंगफली में 3.0 से 19.1 पीपीएम, साग-सब्जी में 5.00 और आलू में 68.5 पीपीएम तक डीडीटी पाया गया है। महाराष्ट्र में डेयरी द्वारा बोतलों में बिकने वाले दूध के 90 प्रतिशत नमूनों में 4.8 से 6.3 पीपीएम तक डिल्ड्रीन भी पाया गया है।
खाने को सुरक्षित बनाना हमारी संस्कृति एवं सभ्यता का हिस्सा है। आजकल सभी खाद्य उत्पादों का संरक्षण विभिन्न प्रकार के परिरक्षको (preservative ) के द्वारा किया जाता है हालाँकि ये मानकों के आधार पर होता है किन्तु फिर भी इन में कई छुपे हुए रसायन होतें हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होतें हैं। हमारे रसोई के कुछ मुख्य परिरक्षक (preservative), खाद्य योजक (additives) एवं स्वाद बढ़ने वाले रसायन (flavour) जो शरीर में अधिक मात्रा में पहुँचाने पर नुकसान करते हैं, निम्नानुसार हैं।
कृत्रिम फ्लेवर:
खाना पकाने से खाने की महक ख़त्म हो जाती है अतः खाने को प्राकृतिक महक देने के लिए कृत्रिम फ्लेवर का प्रयोग किया जाता है। इन फ्लेवर में कई प्रकार के रसायन होतें हैं एवं इनमे कोई भी पोषक तत्व नहीं होता है ये आजकल सभी खाद्य उत्पादों में पाये जातें हैं जिनमे ब्रेड, सेरल्स, योगार्ट, सूप प्रमुख हैं इन रसायनों से गले में सूजन, सर्दी खांसी और स्मृति लुप्त होने की बीमारियां होती हैं।
समृद्ध आटा:
ऐसे आटे में निपासिन, थेमाइन, रइबोफ्लाविन, फोलिक एसिड आदि विषैले रसायन मिलाये जाते हैं।
हाइड्रोजिनेटेड तेल:
इन तेलों को बनाने की विधि में इन्हे अत्यंत ताप पर गर्म करके शीतल किया जाता है। इस प्रक्रिया में इनका द्रव वाला हिस्सा ठोस वासा में परिवर्तित हो जाता है। यह मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।
मोनो सोडियम ग्लूकोमेट:
यह खड़ी उत्पादों को संरक्षित करने वाला पदार्थ है जो अत्यंत विषेला होता है।
शक्कर:
अधिक मात्रा में लेने से यह शरीर की मेटाबोलिक क्रियाओं को प्रभावित करती है एवं इससे मधुमेह, उच्च रक्त चाप एवं हार्मोन डिसऑर्डर की बीमारी उत्पन्न होती हैं।
पोटेशियम एवं सोडियम बेंजोएट:
सोडियम बेंजोएट से खतरनाक कार्सिनोजेनिक विष बनता है बेंजोएट मनुष्य के डीएनए को नुकसान पहुंचाता है। यह अधिकांश सेव के अर्क, जैम एवं सीरप में मिलाया जाता है।
सोडियम क्लोराइड:
अधिक मात्रा में सेवन करने से उच्च रक्त चाप एवं मस्तिष्क सम्बन्धी बीमारियां होती हैं।
इसके अलावा ब्यूटिलि कृत हाइडॉक्सीएनीसोल (BHA), ब्यूटिलि कृत हाइड्रॉक्सीटालवीन (BHT) नाइट्रेटस, पोली सारवेट 60, 65, 80 सलफाइट तृतीयक ब्यूटाइल उदकुनैन (TBHQ) कैनोला तेल इत्यादि अन्य रसायन हैं जो शरीर को नुकसान पहुँचाते हैं।
भारतीय उपभोक्ता को जागरूक बनाने की जरूरत है। जब भी हम कोई वस्तु बाजार से खरीदने जातें हैं तो उस खाद्य उत्पाद पर लगा लेबिल ध्यान से नहीं पढ़ते। उस उत्पाद पर लगे लेबिल में उस का संघटन लिख रहता है जिससे हम जान सकते हैं कि उस उत्पाद में किन किन रसायनों का प्रयोग किया गया है। अतः आप अपने घर में जो भी डिब्बाबन्द खाद्य प्रयोग कर रहे हैं उनके लेबल पर दी गई जानकारी विस्तार से पढ़ें। बैच नम्बर व पैक करने की तिथि भी अवश्य पढ़े। भारत में अधिकांश विषैले खाद्य पदार्थों का स्त्रोत पेस्टिसाइड हैं।
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* खाद्य पदार्थ में मिलावट ( FOOD ADULTERATION )
* सोने में मिलावट ( GOLD ADULTERATION )
* केंसर में मिलावट ( SAFFRON ADULTERATION )
* चमड़े की वस्तुओ में मिलावट ( LEATHER ADULTERATION )
* शहद में मिलावट ( HONEY ADULTERATION )
* मसाले में मिलावट ( SPICE ADULTERATION )
* दाल में मिलावट ( PULSES ADULTERATION)
* आटे में मिलावट (ADULTERATION IN FLOURS)
* चावल में मिलावट ( RICE ADULTERATION )
* फल के रस में मिलावट ( JUICE ADULTERATION )
* सब्जी में मिलावट ( VEGETABLE ADULTERATION )
* जहरीली डाई से रंगी हुई मटर ( Peas colored by Toxic Melachite green )
* नकली अण्डा घर पे जांचे ( FAKE EGGS - CHECK AT HOME )
* माँस में मिलावट
( MEAT & MEAT PRODUCT ADULTERATION )
* केक और बेकरी सामान में मिलावट
(ADULTERATION IN CAKE & BAKARY PRODUCTS)
* आचार में मिलावट (Adulteration in Pickle)
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