अगर आप बाजार से कुछ खरीदते हैं और आपको लगता है कि इसमें कोई दिक्कत हो सकती है तो आपको फूड इंस्पेक्टर के आने का इंतजार करने की जरूरत नहीं है. मतलब साफ है कि अब कोई भी व्यक्ति किसी भी एनएबीएल यानी नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लेबोरेटरीज से मान्यता प्राप्त लैब से खाने की जांच करा सकता है. अगर खाने में कोई खराबी पाई जाती है या वो तय मानकों के मुताबिक नहीं पाया जाता है तो इसका पूरा पैसा एफएसएसएआई चुकाएगा. इसका सैंपल आगे की कार्रवाई के लिए फूड सिक्योरिटी ऑफिसर अपने पास रख लेंगे.
FSSAI चुकाएगा पूरा पैसा
खाने-पीने की चीजों की जांच कराना अब आसान होने जा रहा है. किसी लंबी प्रक्रिया के बजाय आप सीधे खाने की जांच किसी सरकारी या अच्छे प्राइवेट लैब में कर सकते हैं और खाने में खराबी पाए जाने पर पूरा पैसा एफएसएसएआई चुकाएगा.
लैब्स का नेटवर्क बनाने की तैयारी
FSSAI चुकाएगा पूरा पैसा
खाने-पीने की चीजों की जांच कराना अब आसान होने जा रहा है. किसी लंबी प्रक्रिया के बजाय आप सीधे खाने की जांच किसी सरकारी या अच्छे प्राइवेट लैब में कर सकते हैं और खाने में खराबी पाए जाने पर पूरा पैसा एफएसएसएआई चुकाएगा.
लैब्स का नेटवर्क बनाने की तैयारी
अलग-अलग लैब्स की जांच में अंतर न हो, इसके लिए एफएसएसएआई करीब 15 स्टेट ऑफ द आर्ट > लैब्स का नेटवर्क बना रहा है जिनके नतीजों को प्रमाणित माना जाएगा.
लैब्स की क्वालिटी ठीक करने पर करीब 500 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं.
> देशभर में करीब 250 फूड लैब्स हैं जिनमें से 150 केंद्र या राज्य सरकारों के अंदर आती हैं. > एफएसएसएआई का मानना है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों के खाने-पीने की क्वॉलिटी को लेकर जागरुक होने से फूड कंपनियां भी ज्यादा सावधानी बरतेंगी.
> देशभर में करीब 250 फूड लैब्स हैं जिनमें से 150 केंद्र या राज्य सरकारों के अंदर आती हैं. > एफएसएसएआई का मानना है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों के खाने-पीने की क्वॉलिटी को लेकर जागरुक होने से फूड कंपनियां भी ज्यादा सावधानी बरतेंगी.